मेरी दर्द वाली रातों की नज़र उतार देना
ये गर रहीं सलामत तो महका करेंगी ग़ज़लें
फ़स्ले बहार आलम में आँखों का नम रहना
खुश मौसमों में ऐसे छलका करेंगी ग़ज़लें
कभी अकेलापन हो तो खुद से मिलके देखो
ख़ामोशी की अदा में बातें करेंगी ग़ज़लें
दिल से जुड़े है ख्वाब तो न कोई दुआ मांगों
ग़र ना कुबूल हो तो रोती बहुत हैं ग़ज़लें
गुलपोश करके रखना एहसासों को हमेशा
एहसास साथ होंगे तो जिंदा रहेंगी ग़ज़लें
- अशोक जमनानी