अब आंखें बंद कैसे मैं कर सकूं बताओ
तस्वीर देके तुम मुझे जगराते दे गए हो
कोई नहीं यहाँ पर फिर भी नहीं अकेला
याद आके मुझको महफिल में ले गए हो
आंखों में आंसू लेके हंसना नहीं है आसां
मुस्कराहटों में भी मेरी बनावट भर गए हो
स्याही सा बिखर जाऊं मैं किसी सफे पे
हर्फ़ हूं ग़ज़ल का तुम जिसे कह गए हो
है मेरी रूह तुमसे कुछ इस तरह वाबस्ता
तुम दूर जाके भी तो मेरे पास रह गए हो
तस्वीर देके तुम मुझे जगराते दे गए हो
कोई नहीं यहाँ पर फिर भी नहीं अकेला
याद आके मुझको महफिल में ले गए हो
आंखों में आंसू लेके हंसना नहीं है आसां
मुस्कराहटों में भी मेरी बनावट भर गए हो
स्याही सा बिखर जाऊं मैं किसी सफे पे
हर्फ़ हूं ग़ज़ल का तुम जिसे कह गए हो
है मेरी रूह तुमसे कुछ इस तरह वाबस्ता
तुम दूर जाके भी तो मेरे पास रह गए हो
-अशोक जमनानी