नर्मदा यात्रा : 50 : मांगरोल-सर्रा
सांडिया नर्मदा के दक्षिण तट पर है और आगे चलकर उत्तर तट पर मांगरोल और सर्रा हैं। मांगरोल में सुन्दर मंदिर तो है लेकिन गाँव में नर्मदा तट के पास एक टूटा हुआ कमरा भी था जहाँ लिखा था 'यहां पर साधु संतों को सदाव्रत मिलता है। ' सदाव्रत नर्मदा क्षेत्र की एक विशिष्ट लोक परंपरा है। नर्मदा परिक्रमा करने वालों को हर गाँव में आसानी से सदाव्रत मिल जाया करता था। किसी भी द्वार पर खड़े होकर केवल 'नर्मदे हर ' कहने मात्र से लोग समझ जाया करते थे कि याचक परिक्रमा वासी है और उसे आटा-दाल-घी दे दिया करते थे। सदाव्रत में कभी पका हुआ भोजन नहीं दिया जाता था। पर अब यह परम्परा टूट चुकी है। साधन संपन्न परिक्रमावासी मांगते नहीं और साधनहीन लोग सदाव्रत में पका भोजन लेने लगे हैं। कुछ वर्षों पूर्व तक नर्मदांचल के अधिकांश किसान अपनी फसल का एक हिस्सा सदाव्रत के लिए सुरक्षित रखते थे और कई किसान अपने खेतों का एक हिस्सा नर्मदा के परिक्रमावासियों के नाम कर देते थे। खेत उनके थे पर फसल नर्मदा भक्तों की हुआ करती थी।मैं बहुत हैरान हुआ करता था यह देखकर कि ऐसे किसान भी थे जिनकी फसल उनके परिवार के लिए भी कम पड़ती थी लेकिन वे भी परिक्रमावासियों के लिए कुछ न कुछ अलग रखा करते थे। पर अब सब कुछ बदल रहा है। अपनी चिंताएं इतनी बड़ी हो चुकी हैं कि दूसरों की चिंता करने की कोई गुंजाइश ही नहीं बचती। कभी-कभी आश्चर्य होता है यह सोचकर कि जिस देश में अकिंचन भी दाता थे उस देश में सामर्थ्यवान भी लुटेरे बन गए !!!!
- अशोक जमनानी
- अशोक जमनानी