कुछ दिनों पूर्व विश्वविख्यात संतूर वादक पंडित भजन सोपोरी जी के साथ कुछ
वक़्त बिताने का सुअवसर प्राप्त हुआ . बहुत कम कलाकार ऐसे होते हैं जिनका
व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों प्रभावित करते हैं . पंडित जी के वादन और
व्यक्तित्व दोनों में कश्मीर का केसर तो महकता ही है पर इस पहाड़ की ऊंचाई
पर जो निर्मल जलधारा फूटती है उसका पानी मीठा है - बहुत मीठा और छुओ तो
ठंडक हाथ पर नहीं रूकती बल्कि रूह तक पहुँचती है . ............. अशोक
जमनानी
गुरुवार, अप्रैल 12, 2012