उन पत्थरों के लिए
जो देवालयों में
बन गए ईश्वर
या हो गए पहाड़
पहाड़ों पर पड़े पड़े
जो सदियों से धंसे हैं
किलों और महलों में
जो विवश से फंसे हैं
अंतहीन मार्ग संकुलों में
इमारतों की नींव से कलश तक
जो डूबे हैं अहंकार में
फुटपाथों पर पड़े हैं जो
किसी ठोकर के इंतज़ार में
कुछ कहा जाए
उन पत्थरों के लिए
जो बन गए आदिम हथियार
जो चक्कियों के पाट बन
कर रहे
उपकार
बेगार
उपकार
बेगार
लेकिन क्या कहा जाए
उन पत्थरों के लिए
जो न जाने कैसे बन गए
तथाकथित् मनुष्य का
तथाकथित् हृदय !!!!!