नर्मदा यात्रा : 15 : खरमेर संगम
देवनाला और खरमेर दोनों का रास्ता सक्का से होकर जाता है। सक्का बड़ा कस्बा है लेकिन खरमेर संगम जिस गाँव कवलारी के पास है उसकी आबादी बहुत कम है। संगम तक जाने के लिए खेतों से जाती पगडंडियां रास्ता बनाती भी हैं और कभी-कभी रास्ता भूलने में भी बड़ी भूमिका निभा देतीं हैं। पर खरमेर संगम पर नर्मदा और खरमेर का जल इतना साफ़ था कि किनारों के पत्थरों तक के प्रतिबिम्ब पानी में साफ़-साफ़ दिखायी देते थे और दोनों किनारों पर बैठे बगुलों को भी भगत बनने की ख़ास ज़रुरत नहीं थी लेकिन आदत से मज़बूर थे इसलिए साधना ज़ारी थी। गाँव में लौटकर आया तो देवेन्द्र और दीनदयाल धुर्वे ने बहुत अपनेपन के साथ स्वागत किया। जिनके साथ कोई रिश्ता तो छोड़िये परिचय तक नहीं वे भी मेरे लिए बहुत कुछ करते तो उनसे कारण पूछने पर वे मुस्कराकर याद दिलाते कि क्यों न करेंगे आखिर मैं उनकी ( मेरी भी ) नर्मदा मैया के तट का यात्री जो हूँ ....
- अशोक जमनानी
देवनाला और खरमेर दोनों का रास्ता सक्का से होकर जाता है। सक्का बड़ा कस्बा है लेकिन खरमेर संगम जिस गाँव कवलारी के पास है उसकी आबादी बहुत कम है। संगम तक जाने के लिए खेतों से जाती पगडंडियां रास्ता बनाती भी हैं और कभी-कभी रास्ता भूलने में भी बड़ी भूमिका निभा देतीं हैं। पर खरमेर संगम पर नर्मदा और खरमेर का जल इतना साफ़ था कि किनारों के पत्थरों तक के प्रतिबिम्ब पानी में साफ़-साफ़ दिखायी देते थे और दोनों किनारों पर बैठे बगुलों को भी भगत बनने की ख़ास ज़रुरत नहीं थी लेकिन आदत से मज़बूर थे इसलिए साधना ज़ारी थी। गाँव में लौटकर आया तो देवेन्द्र और दीनदयाल धुर्वे ने बहुत अपनेपन के साथ स्वागत किया। जिनके साथ कोई रिश्ता तो छोड़िये परिचय तक नहीं वे भी मेरे लिए बहुत कुछ करते तो उनसे कारण पूछने पर वे मुस्कराकर याद दिलाते कि क्यों न करेंगे आखिर मैं उनकी ( मेरी भी ) नर्मदा मैया के तट का यात्री जो हूँ ....
- अशोक जमनानी