Home » अशोक जमनानी » कविता » ASHOK JAMNANI » पहाड़ और नदी पहाड़ और नदी पहाड़ और नदी न जाने कितनी बार मैंने दर्द लिखा उम्र के पन्नों पर न जाने कितनी बार दर्द लिखा तुमने भी हम दोनों पहाड़ और नदी की तरह क्यों रो पड़ते हैं कभी-कभी कहकहों के बीच में .... - अशोक जमनानी Share: Facebook Twitter Google+ StumbleUpon Digg Delicious LinkedIn Reddit Technorati